मंगलवार, 30 जनवरी 2018

(((( काबिलियत ))))

                (((( काबिलियत ))))

. आप में भी कुछ करने की काबिलियत है,  कुछ करना चाहते हैं,  कुछ नाम शोहरत कमाना चाहते हैं,  और अपने  जन्म को सफल बनाना चाहते हैं, तो अपने अंदर की काबिलियत को जगाये
  देखें 1 दिन सफलता आपके कदमों में होगी,



 इस पोस्ट में हम आपको एक छोटी सी कहानी बता रहे हैं,  अच्छा लगे तो कमेंट और हमें फॉलो जरूर करें,
किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था . तालाब के पास एक बागीचा था ,
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जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे. दूर- दूर से लोग वहाँ आते और बागीचे की तारीफ करते .
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गुलाब के पेड़ पे लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता,
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उसे लगता की हो सकता है एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे.
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पर जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वो काफी हीन महसूस करने लगा .

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उसके अन्दर तरह-तरह के विचार आने लगे—” सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं ,
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शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं
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कहाँ ये खूबसूरत फूल और कहाँ मैं… और ऐसे विचार सोच कर वो पत्ता काफी उदास रहने लगा.
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दिन यूँही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़ी जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया.
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बागीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे , देखते-देखते सभी फूल ज़मीन पर गिर कर निढाल हो गए ,
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पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा.
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पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंको की वजह से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी.

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चींटी प्रयास करते-करते काफी थक चुकी थी और उसे अपनी मृत्यु तय लग रही थी कि तभी पत्ते ने उसे आवाज़ दी,
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घबराओ नहीं, आओ, मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ, और ऐसा कहते हुए अपनी उपर बैठा लिया.
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आंधी रुकते-रुकते पत्ता तालाब के एक छोर पर पहुँच गया; चींटी किनारे पर पहुँच कर बहुत खुश हो गयी और बोली,
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आपने आज मेरी जान बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है, सचमुच आप महान हैं,
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आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ! “
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यह सुनकर पत्ता भावुक हो गया और बोला,” धन्यवाद तो मुझे करना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी वजह से आज पहली बार मेरा सामना मेरी काबिलियत से हुआ ,
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जिससे मैं आज तक अनजान था. आज पहली बार मैंने अपने जीवन के मकसद और अपनी ताकत को पहचान पाया हूँ
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मित्रों , ईश्वर ने हम सभी को अनोखी शक्तियां दी हैं ; कई बार हम खुद अपनी काबिलियत से अनजान होते हैं और समय आने पर हमें इसका पता चलता है,

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हमें इस बात को समझना चाहिए कि किसी एक काम में असफल होने का मतलब हमेशा के लिए अयोग्य होना नही है .
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खुद की काबिलियत को पहचान कर आप वह काम कर सकते हैं , जो आज तक किसी ने नही किया है !


सोमवार, 29 जनवरी 2018

एक मुहीम जरूरत मंदो के लिए 40 साल से  चला रहा है साई बाबा सेवा आश्रम 


                               

करगी रोड कोटा --श्री   साई बाबा सेवा आश्रम १९७२ से स्थापित रजि न ११०२५ संस्था   विगत ४०  वर्षों से  शिरर्डी   के साई बाबा के आदर्शो का पालन करते हुए हर गुरुवार और समय समय पर गरीबो को भोजन और जरूरत के कपड़े व शिक्षा की सामग्री बॉंट रही है ,,
आज से   45    साल पहले करगी रोड  कोटा क्षेत्र के युवा कैलाशचंद्र गुप्ता जी के बड़े भाई स्वगीर्य  गंगा प्रसाद गुप्ता पिता स्वर्गीय श्री बद्री प्रसाद गुप्ता जी (पूर्व अध्यछ साई बाबा आश्रम } को शिरडी के साई बाबा ने स्वपन दिया की गरीबो और जरूरत मंदो की सेवा के लिए एक सेवा केंद्र बनाओ,
उन्होंने इस स्वपन को घर में सभी को बताया और २१ वर्ष की आयु में गंगा प्रसाद गुप्ता जी का   देहांत हो गया ,उनके बताये हुए स्वपन को साकार करने के लिए उनके छोटे भाई ने प्रण लिया और
साई बाबा सेवा आश्रम नाम की एक हु ब हु शिरडी धाम की स्थापना की , जहाँ पर सभी  साई भक्तो के सहयोग  शिरडी का स्वरूप बनाया जा रहा  है ,
इस धाम में हर साल रामनवमी पर्व पर  विशाल भंडारे का आयोजन और भव्य पालकी सोभा यात्रा भी निकली जाती हे तथा गुरुपूर्णिमा ,विजयदशमी पर साई बाबा की पुण्य तिथि महोत्स्व  और सभी पर्वो में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है ,
हर गुरुवार को साई बाबा के आदर्शो का पालन करते हुए गरीब बच्चो को भोजन भी कराया जाता हे ,
 रामचंद्र गुप्ता सह सचिव श्री साई बाबा सेवा आश्रम के सदस्य  ने कर्तव्य नाम से टीम  बनाकर आदिवासियों को गर्म कपड़े बांटने की शुरुआत की ,इन युवाओं को ठंड में आदिवासियों की मौत की खबर उन्हें झ्हकझोड़  कर रख दिया था,इन लोगों ने सोचा लोगों के अनुपयोगी गर्म कपड़े को लेकर उन्हें साफ कर  बांटने की पहल की जाए इन लोगो की इस मुहीम के लिये स्थानीय श्री साई बाबा सेवा आश्रम में कपड़े रखने का केंद्र बनाया गया।  पहली बार में ही इतने कपड़े मिल गए कि गांव में बांटने के लिए उन्हें एक गाड़ी करनी पड़ी टीम के सदस्य कपड़े बांटने से पहले उस क्षेत्र में पहले सूचना प्रसारित कर आते हैं ,टीम में शामिल युवा नौकरी व व्यापर  से जुड़े हुए हैं अपने कामों से अलग इस अभियान के लिए समय निकाल लेते हैं,

 इसी पहल में इस वर्ष  कर्तव्य की टीम ने कोटा रेल्वे स्टेशन व   बिलासपुर जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया के ग्राम - शिवलखार , सरई ताल, ग्राम पंचायत बड़ी करगी के  नकटा बाँधा में  जाकर बैगा आदिवासियों को गर्म कपड़े व खाई खजाना   बांटा गया ,

इससे पहले जुलाई में गरीब बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है उन्हें पढ़ाई करने के लिए आवश्यक सामग्री चाहिए होती है, जिन सरकारी स्कूलों के बच्चों को आर्थिक तंगी की वजह से शिक्षा सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती नहीं हो पाती  ऐसे  गरीब बच्चों को सहयोग प्रदान किया गया था
साई बाबा सेवा आश्रम के विकास और निर्माण में सहयोग देने वाले सभी साई भक्तो का श्री कैलाशचंद्र गुप्ता संचालक एवं मुख्य पुजारी श्री साई बाबा सेवा आश्रम जी ने साधुवाद दिया और आशा किया जाता हे इस धाम के विकास में आप सभी का सहयोग आगे भी जारी रहेगा
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साई बाबा सेवा आश्रम 
                  

शनिवार, 27 जनवरी 2018

If you worship God more then peopl

If you worship God more then people say that he is mad in the worship of God but God is the only truth. There should be only one objective of human birth that we have to get God, whatever mistakes we make in our life, then we Just be afraid of God because the accounting of our good deeds is decided in God's court and he decides our sentence that you can not escape before that They can not hide the lies that are said to be late in the house of God, it is not truth, it is true that human beings have to suf If you worship God more then peopl fer the consequences of their deeds. If you believe in their power, then understand that God's grace will always remain on you. Remembering two things always that everyone hunts every calamity as God is supposed to be unthinkable, then God takes him out of every trouble. Today you have the money which you have money to understand yourself God He lives in this arrogance that I can run the world. It is your mistake that sister has given that money also God has taken it in some form or the other is the one who will run the world, which will remain forever Man can not understand the importance of his time. He understands that human birth is attained with great fate. He has attained great virtue. God's grace is upon him. Every morning he is free from his daily karma. Take the meditation of the young man some time by doing his yoga meditation and engage in his daily activities. This is his ultimate religion. Many people wake up from morning and get rid of their neighbors, relatives and relatives, and waste their time from the morning, they are happy to hurt others. But he does not understand that those who are weighing will make their children there tomorrow because they are like wet soil, they will deny you the same way. This is a bitter truth. I request you to do the time when you earn worthless, keep praying in God's worship because your mind is the gift of God, when God's body is dead, when God raises it from this world, then anyone's Where the wealth is left, the door will be left to God, it is all God's gift. Only the person has to do the karma so that the person lives in Maya. The person is blessed if he dies, then God will serve him. Let the mind be paid in the mind, the same will be crossed by the ocean, always keep in mind the Lord, by believing in your mind, remember it with a sacred mind, you will see the sky published from all sides and by getting rid of all the disappointments, your way is simple There will be many people coming to mislead your path. But whatever you want, you will be destroyed as you trust. You do not panic, do not worry, worship Goddess goddess Poko will provide power, the glory of the mother is immortal, which recalls the glory of Goddess Mother and remembers them. All their calamities are like stalks, because the Lord will always bless the devotees. Offer all your wealth at the Lord's feet. It requires some medium to achieve this medium. This medium can be known by some wise great teacher Sadhguru to your old age. By reading books, one can acquire knowledge, life is a moment-precious life.Some others can earn knowledge by reading good religious books too. Man life is precious, one moment is worth it. Do not waste it in vain, get God's grace by doing some good deeds.

सब से बड़ा आश्चर्य

*🍃🍁सब से बड़ा आश्चर्य🍁🍃*

एक बार कही ईश्वर चर्चा हो रही थी सभी सुन रहे थे की तभी वहाँ से एक व्यक्ति जाते जाते रुका और महात्मा जी से कहने लगा -- क्या में एक प्रश्न पूछ सकता हु ??
महात्मा जी--- अवश्य
व्यक्ति--- महात्मा जी में रोज यह से निकलता हूँ आप सब को चर्चा करते देखता हूँ आप सब ईश्वर की चर्चा करते हो और सुनते भी हे तो क्या आप सब ने ईश्वर को देखा हे ????
सभी उस व्यक्ति की बात सुन कर हँसने लगे और कहने लगे --- *ईश्वर को तो देख ही नही सकते और जो देख लेगा ना वो तो दुनिया में ही नही रहेगा ! तुम भी यह बैठ कर महात्मा की बात सुनोगे तभी तो पता चलेगा ईश्वर को ऎसे नही देख सकते।*
महात्मा भी बोल पड़े --तुम तो कर्मो की मेल ख़त्म कर तभी तो ईश्वर को देख पाओगे ?


व्यक्ति -- महात्मा जी बहुत आश्चर्य की बात हे जब आप ने ईश्वर को देखा ही नही तो कैसे बता सकते हो की ईश्वर क्या हे ? आप बहुत बड़ा गुनाह कर रहे हो पहले आप ईश्वर को देखो तब ही दुसरो को बताना ।
महात्मा और उसके शिष्यों ने उस व्यक्ति को धके मार कर बहार कर दिया।
वो व्यक्ति मुस्कुराता हुआ चला गया तभी एक और व्यक्ति उस सभी में से उठा और कहने लगा वो सही बोल रहा था और उस के पीछे चल दिया

   
उस व्यक्ति को कहने लगा - क्या आप ने ईश्वर को देखा हे ?
व्यक्ति - हाँ जी
दूसरा व्यक्ति --तो आप वहा क्यों गये जब आप ने ईश्वर को देखा हे तो ??
पहला --में तो यह देखना चाहता था की - क्या कोई सच में ईश्वर को पाना चाहता हे की नही पर ,,,,,,
*बहुत आश्चर्य हे की जिस ईश्वर की चर्चा कर रहे थे जब उस के दर्शन की बात की तो धके पड़े और इन लोगो को ईश्वर दर्शन नही करने बस बाते करनी हे इसे बत- संग कहते हे सत्संग नही ।*
दूसरा-- आप सही कहे हो क्या आप मुझे ईश्वर दर्शन करा सकते हो
पहला व्यक्ति-- आप की जिज्ञासा हे तो आप भी पूर्ण गुरु के पास चलो

     
विचार------
 क्या आप में ईश्वर को जानने की जिग्यासा हे ?
 *बतसंग या सत्संग  आप की क्या इच्छा है??*

*विचार माह पुरुषो के निर्णय आप का क्यों की ---*
प्रत्येक व्यक्ति सवतंत्र हे निर्णय लेने को

🙏जय श्री राम 🙏

बुधवार, 24 जनवरी 2018

एक मुहीम जरूरत मंदो के लिए ३ साल से  चला रहा है कर्त्तव्य  समूह 


                               

करगी रोड कोटा --कर्तव्य समूह  विगत ३ वर्षों से  आदिवासी अंचल में जरूरत के कपड़े व शिक्षा की सामग्री बॉंट रही है , ठंड में  दीन-दुखी  व असमर्थ बच्चों को देखकर युवाओं ने वनवासियों को गर्म कपड़े बांटने मुहिम छेड़ दी एक मुहिम जरूरतमंदों के लिए चला रहा है कर्तव्य समुह    अब तक  ढाई हजार आदिवासियों को कपड़े बांट चुकी है, घर घर से कपड़े एकत्रित करना और उन्हें बांटने की प्रक्रिया लगातार जारी है, मजेदार बात यह है कि कर्तव्य नाम की इस संस्था का अगवा  कोई  एक व्यक्ति नहीं होकर सभी बराबर के हिस्सेदार है,३   साल पहले कोटा क्षेत्र के युवा चंद्र शेखर गुप्ता रामचंद्र गुप्ता चंद्रकांत जायसवाल व  युवाओं ने कर्तव्य नाम से टीम  बनाकर आदिवासियों को गर्म कपड़े बांटने की शुरुआत की थी,इन युवाओं को ठंड में आदिवासियों की मौत की खबर उन्हें झ्हकझोड़  कर रख दिया था,इन लोगों ने सोचा लोगों के अनुपयोगी गर्म कपड़े को लेकर उन्हें साफ कर  बांटने की पहल की जाए इन लोगो की इस मुहीम के लिये स्थानीय श्री साई बाबा सेवा आश्रम में कपड़े रखने का केंद्र बनाया गया।  पहली बार में ही इतने कपड़े मिल गए कि गांव में बांटने के लिए उन्हें एक गाड़ी करनी पड़ी टीम के सदस्य कपड़े बांटने से पहले उस क्षेत्र में पहले सूचना प्रसारित कर आते हैं ,टीम में शामिल युवा नौकरी व व्यापर  से जुड़े हुए हैं अपने कामों से अलग इस अभियान के लिए समय निकाल लेते हैं,

 इसी पहल में इस वर्ष  कर्तव्य की टीम ने कोटा रेल्वे स्टेशन व   बिलासपुर जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया के ग्राम - शिवलखार , सरई ताल, ग्राम पंचायत बड़ी करगी के  नकटा बाँधा में  जाकर बैगा आदिवासियों को गर्म कपड़े व खाई खजाना  कर्त्तव्य समूह  के द्वारा बांटा गया ,

इससे पहले जुलाई में गरीब बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है उन्हें पढ़ाई करने के लिए आवश्यक सामग्री चाहिए होती है, जिन सरकारी स्कूलों के बच्चों को आर्थिक तंगी की वजह से शिक्षा सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती नहीं हो पाती  ऐसे  गरीब बच्चों को सहयोग प्रदान किया गया था
इस मुहीम में चिंटू सोनी,नवीन गुप्ता, सूरज गुप्ता, कमलेश यादव ,अंकित सोनी ,विवेक गुप्ता , रामनारायण यादव,व करगी रोड कोटा की सभी जनता का सहयोग जारी है
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रविवार, 14 जनवरी 2018

True, whose faith is high, whose glory is,

                                    Who believes, "my God"

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Writer - From the pen of  lovelesh Gupta [Ram]



People say that the above person has sent us, the parents are only the companions of the birth, if you think so, then it is wrong if we do not have our parents, so where do we come from today in this world, mother It is due to the father, the mother keeps 9 months in her womb and keeps us in her womb; she knows the pain and suffering of that 9 months; Mother father teaches us to walk with support, but today's young generation, to their parents, Speaks for you Or, what is our effort, it is very necessary to change this thinking, why do you forget that one day you will become a mother and respect your parents, just as the school life does not get recovered, where you will find yourself Childhood passes, in the same way parents will not be able to meet again
    
My mask is not to hurt anyone's feelings

This is a little story,

  Must read for your parents happiness

Thank you
A son took his old father into a good restaurant for dinner. During dinner, the elderly father often dumped food on his clothes. The people who were eating another meal in the restaurant were watching the old age with hatred, but the old man's son was calm. After eating, without taking any shame, the old man took the wash room.

 Cleaned their clothes, cleaned their face, comb them in their hair, wearing glasses and then brought them out.


Everyone was silently watching them. She gave the bill and started going out with the old man.

Then another elderly dancer gave a voice to the son and asked him "Do not you think that here

Are you leaving something behind you ?? "


Son replied, "No, I leave nothing

not going. "


The old said, "Son, you are leaving here,

An education for every son and hope for each father


(hope). "


Usually we do not like taking our elderly parents out with us

And say what will you do if you go from

Do not even eat properly, you stay at home, that will be good.

Did you forget when you were young and your parents used to take you up in your arms,

When you could not eat properly, mother used to feed you with your own hands and did not love the food when it fell.


            Then why do the same parents get burdened in old age ???

Mother god is the form of God, serve them and give love ...

Because one day you too will grow old.


Respect our Parents ..


  Thank you very much all for reading this post. All of you must share it. Maybe reading this post can help a son take care of his parents.

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----------------Respect our Parents---------------

                                    
       सच्चा है जिसका ईमान ,ऊंची है जिसकी शान ,,
                                    जो मानते है, अपने माँ ,बाप को "भगवान" 
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लेखक -लवलेश गुप्ता [राम ] की कलम से 

लोग कहते है हमे ऊपर वाले ने भेजा हे, माँ बाप तो केवल जन्म के साथी है ,अगर आप ऐसा सोचते है, तो ये गलत है अगर हमारे माँ बाप नहीं होते तो हम कहाँ से आते इस दुनिया में आज हम जो भी है, माँ बाप के बदौलत ही है,माँ ९ महीना अपनी कोख मै रख कर  हमे पालती है उस 9 महीने का दर्द और तकलीफ को वो ही जानती  है  , माँ बाप हमे   सहारा दे कर  चलना सिखाते  है, पर आज की युवा पीढ़ी अपंने माँ बाप को यह कहते है, की तुमने हमारे लिए क्या किया हम जो है अपनी मेहनत से है ,यह सोच को बदलना बहुत जरूरी है ,आप यह क्यों भूल जाते है की एक दिन आप भी तो माँ बाप बनेगे, माँ बाप का आदर सम्मान करे जिस प्रकार स्कूल लाइफ दुबारा नहीं मिलती ,जहां  आप अपना बचपन गुजारते है ,उसी तरह माँ बाप भी दुबारा नहीं मिलेंगे  




मेरा मकशद किसी की भावनाओ को ठेस पहुँचाना  नहीं है
यह  एक  छोटी सी स्टोरी है,
  अपने माता पिता की ख़ुशी के लिए जरूर पढ़े 
धन्यवाद 





एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया। खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया। रेस्टॉरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे, लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था। खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया।
                                   
 उनके कपड़े साफ़ किये, उनका चेहरा साफ़ किया, उनके बालों में कंघी की,चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया।

                                                  
                               


सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा।
तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा " क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ
अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?? "

बेटे ने जवाब दिया" नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर

नहीं जा रहा। "    
                        

                            वृद्ध ने कहा " बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो,
प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद

(आशा)। "


                                  आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीँ करते
और कहते हैं क्या करोगे आप से चला तो जाता
नहीं ठीक से खाया भी नहीं जाता आप तो घर पर ही रहो वही अच्छा होगा.                        

                                                   
क्या आप भूल गये जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी गोद मे उठा कर ले जाया करते थे,
आप जब ठीक से खा नही पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी

                                                  फिर वही माँ बाप बुढापे मे बोझ क्यो लगने लगते हैं???
माँ बाप भगवान का रूप होते है उनकी सेवा कीजिये और प्यार दीजिये...
क्योंकि एक दिन आप भी बूढ़े होगें।

                                    Respect our Parents.. 

  आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आप सभी इसे शेयर जरूर करे शायद इस पोस्ट को पढ़कर किसी बेटे को माँ बाप का ख्याल आ जाये 





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शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

पापा की परी है बेटी

                -----------------------  पापा की परी है बेटी-------------------
                                 
.पापा और बेटी की एक प्यारी सी कहानी हम आप के सामने पेश कर रहे है, आप सभी जानते है बेटी पराया धन होती  है,एक दिन बेटी अपना प्यारा सा घर छोड़ कर चली जाती है और अपने पति के घर की सोभा बन जाती है आप अपनी बेटी को इतना प्यार करे की वो जहां भी रहे खुश रहे ,
बेटी ने अपने पापा के लिए कुछ बनाया हे आगे पोस्ट पढ़े --


 "पापा मैंने आपके लिए खीर  बनाया है" 11साल की बेटी अपने पिता से बोली जो कि अभी office से घर आये ही थे ! ,


पिता "वाह क्या बात है ,ला कर खिलाओ फिर पापा को,"

बेटी दौड़ती रसोई मे गई और बडा कटोरा भरकर खीर  लेकर आई ..
पिता ने खाना शुरू किया और बेटी को देखा ..
पिता की आँखों मे आँसू थे...

-क्या हुआ पापा  खीर अच्छा नही लगा

पिता- नही मेरी बेटी बहुत अच्छा बना है ,

और देखते देखते पूरा कटोरा खाली कर दिया; इतने मे माँ बाथरूम से नहाकर बाहर आई ,
और बोली- "ला मुझे भी खिला तेरा खीर"



पिता ने बेटी को १००  रु इनाम मे दिए , बेटी खुशी से मम्मी के लिए रसोई से खीर लेकर आई मगर ये क्या जैसे ही उसने खीर की पहली चम्मच मुंह मे डाली तो तुरंत थूक दिया और बोली- "ये क्या बनाया है, ये कोई खीर है, इसमें तो चीनी नही नमक भरा है , और आप इसे कैसे खा गये ये तो जहर हैं , मेरे बनाये खाने मे तो कभी नमक मिर्च कम है तेज है कहते रहते हो ओर बेटी को बजाय कुछ कहने के इनाम देते हो...."

पिता-(हंसते हुए)- "पगली तेरा मेरा तो जीवन भर का साथ है, रिश्ता है पति पत्नी का जिसमें नौकझौक रूठना मनाना सब चलता है; मगर ये तो बेटी है कल चली जाएगी, मगर आज इसे वो एहसास वो अपनापन महसूस हुआ जो मुझे इसके जन्म के समय हुआ था। आज इसने बडे प्यार से पहली बार मेरे लिए कुछ बनाया है, फिर वो जैसा भी हो मेरे लिए सबसे बेहतर और सबसे स्वादिष्ट है; ये बेटियां अपने पापा की परियां , और राजकुमारी होती है जैसे तुम अपने पापा की हो ..."



वो रोते हुए पति के सीने से लग गई और  सोच रही थी
इसीलिए हर लडकी अपने  ससुरल में सास ससुर में और पति  मे अपने पापा की छवि ढूंढती है..

दोस्तों यही सच है हर बेटी अपने पिता के बडे करीब होती है या यूं कहे कलेजे का टुकड़ा इसीलिए शादी मे विदाई के समय सबसे ज्यादा पिता ही रोता है ....

इसीलिए हर पिता हर समय अपनी बेटी की फिक्र करता रहता है ! 
बेटी बचपन में अपने माता पिता की लाड़ली होती है ,जब वह अपने पति के घर जाती हैं. तो उसका नया जन्म  होता है। फिर वह ससुराल मै अपने  ससुर और पति मै पिता की छवि को देखती है ,



जो प्यार बच्चपन मै उसे अपने माता पिता से मिला है, वही प्यार अपने ससुराल में अपने पति और पिता से चाहती है 
जो  प्यार उसे बचपन में अपने माता पिता के साथ मिला वही ससुराल में मिलेगा तो किसी बेटी को अपने माता पिता की कमी कभी महशूश नहीं होगी वही अपने पिता की लाड़ली परी होगी हर पिता की यही चाहत होती है की मेरी बेटी जहाँ भी रहे खुश रहे ,



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आपका 
  
राम गुप्ता [लवलेश ]


मंगलवार, 9 जनवरी 2018

Sai Baba of Shirdi has given 11 Vachans or promises or assurances to his devotees


          ||Sabka Malik Ek||\

         ||Shraddha Saburi|

       बाबा जी के 11 वचन
   
 ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा

2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख
की पीढ़ी कर

3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु
दौडा आऊंगा

4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे
समाधी पूरी आस

5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव
करो सत्य पहचानो

6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई
तो मुझे बताए

7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ
मेरे मनका

8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न
मेरा झूठा होगा

9. आ सहायता लो भरपूर,
जो माँगा वो नही है दूर

10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण
न कभी चुकाया

11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य






....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ
महाराज की जय...

क्या आप भी साई बाबा पर विश्वास करते हैं



               
रात के ढाई बजे था, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी,वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहा था।
पर चैन नहीं पड़ रहा था ।



         
आखिर  थक कर नीचे उतर आया और कार निकाली, शहर की सड़कों पर निकल गया। रास्ते में एक साई  मंदिर दिखा सोचा थोड़ी देर इस मंदिर में जाकर साई बाबा  के पास बैठता हूँ।
प्रार्थना करता हूं तो शायद शांति मिल जाये।
    
वह सेठ मंदिर के अंदर गया तो देखा, एक दूसरा आदमी पहले से ही साई बाबा  की मूर्ति के सामने बैठा था, मगर उसका उदास चेहरा, आंखों में करूणा दर्श रही थी।

                

सेठ ने पूछा " क्यों भाई इतनी रात को मन्दिर में क्या कर रहे हो ?"

आदमी ने कहा " मेरी पत्नी अस्पताल में है, सुबह यदि उसका आपरेशन नहीं हुआ तो वह मर जायेगी और मेरे पास आपरेशन के लिए पैसा नहीं है "

उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रूपए थे  वह उस आदमी को दे दिए। अब गरीब आदमी के चेहरे पर चमक आ गईं।

सेठ ने अपना कार्ड दिया और कहा इसमें फोन नम्बर और पता भी है और जरूरत हो तो निसंकोच बताना।

                   

उस गरीब आदमी ने कार्ड वापिस दे दिया और कहा"मेरे पास उसका पता है " इस पते की जरूरत नहीं है सेठजी !

आश्चर्य से सेठ ने कहा "किसका पता है भाई उस गरीब आदमी ने कहा "जिसने रात को ढाई बजे आपको यहां भेजा उसका।"

इतने अटूट विश्वास से सारे कार्य पूर्ण हो जाते है।

               

अगर आप बाबा को मानते हैं बाबा पर पूर्ण विश्वास करते हैं,
 तो अपने श्रद्धा और सबुरी  को बनाए रखें,
 बाबा एक न एक दिन आपके सारे कष्टों को दूर करेंगे. और आपको इस भवसागर  से पार उतारेंगे.  बाबा पर पूर्ण विश्वास करे. बाबा ने कहा था श्रद्धा और सबूरी के साथ आप अपना हर काम को करें. और मुझे अपने समीप ही माने इन्हीं वचनों के साथ बाबा ने भक्तों को कहा है श्रद्धा और सबूरी में भी आपका विश्वास डगमगाने ना पाए

                       
जो जन शिरडी में आएगा आपद दूर भगाएगा साईनाथ महाराज की जय

भक्त और भगवान के बीच उपदेश

एक भक्त था वह परमात्मा को बहुत मानता था,
बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा
किया करता था ।



एक दिन भगवान से
कहने लगा –

मैं आपकी इतनी भक्ति करता हूँ पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई ।



मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप ह

भगवान ने कहा ठीक है,
तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो,
जब तुम रेत पर
चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देंगे ।
दो तुम्हारे पैर होंगे और दो पैरो के निशान मेरे होंगे ।

इस तरह तुम्हे मेरी
अनुभूति होगी ।


अगले दिन वह सैर पर गया,
जब वह रेत पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ ।

अब रोज ऐसा होने लगा ।



एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ सब कुछ चला गया,
वह रोड़ पर आ गया उसके अपनो ने उसका साथ छोड दिया ।

देखो यही इस दुनिया की प्रॉब्लम है, मुसीबत में सब साथ छोड़ देते है ।


अब वह सैर पर गया तो उसे चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये ।

उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त में भगवान ने भी साथ छोड दिया।

धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा फिर सब लोग उसके
पास वापस आने लगे ।

एक दिन जब वह सैर
पर गया तो उसने देखा कि चार पैर वापस दिखाई देने लगे ।

उससे अब रहा नही गया,
वह बोला-

भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर मुझे इस बात का गम नहीं था क्योकि इस दुनिया में ऐसा ही होता है,
पर आप ने भी उस समय मेरा साथ छोड़ दिया था,
ऐसा क्यों किया?

भगवान ने कहा –

तुमने ये कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूँगा,
तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैर के निशान देखे वे तुम्हारे पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे,

उस समय में तुम्हे अपनी गोद में उठाकर चलता था और आज जब तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है ।

इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर दिखाई दे रहे ।

So moral is never loose faith on God. If U believe in him, he will look after u forever.



शनिवार, 6 जनवरी 2018

कर्त्तव्य समूह की एक छोटी सी पहल

आइये  एक बार फिर से मानव बनते हैं ...
दुख भरी कहानी
       

              - मैं थक-हार कर काम से घर वापस जा रहा था। कार में शीशे बंद होते हुए भी..जाने कहाँ से ठंडी-ठंडी हवा अंदर आ रही थी…मैं उस हवा आने वाले सुराख को ढूंढने की कोशिश करने लगा..पर नाकामयाब रहा।
        

          कड़ाके की ठण्ड में घंटे भर की ड्राइव के बाद मैं घर पहुंचा…
         रात के करीबन 1बज चुके थे, मैं घर के बाहर कार से आवाज देने लगा….शायद सब सो चुके थे…
         10 मिनट बाद खुद ही उतर कर गेट खोला….सर्द रात के सन्नाटे में मेरे जूतों की आवाज़ साफ़ सुनी जा सकती थी…
            कार अन्दर कर जब दुबारा गेट बंद करने लगा तभी *मैंने देखा एक 9-10साल का बच्चा, अपने कुत्ते के साथ मेरे घर के सामने फुटपाथ पर सो रहा है…एक अधफटी चादर ओढ़े हुए....

                   

        उसको देख कर मैंने उसकी ठण्ड महसूस करने की कोशिश की तो एकदम सकपका गया..

        मैंने एक महंगी जैकेट पहनी हुई थी फिर भी मैं ठण्ड को कोस रहा था…और बेचारा वो बच्चा…मैं उसके बारे में सोच ही रहा था कि इतने में वो कुत्ता बच्चे की चादर छोड़ मेरी कार के नीचे आ कर सो गया।
          मेरी कार का इंजन गरम था…शायद उसकी गरमाहट कुत्ते को सुकून दे रही थी…
          फिर मैंने कुत्ते की भगाने की बजाय उसे वहीं सोने दिया…और बिना अधिक आहट किये घर में अंदर गया…
   
जैसे ही मैंने सोने के लिए रजाई उठाई…उस लड़के का ख्याल मन में आया…सोचा मैं कितना स्वार्थी हूँ….मेरे पास विकल्प के तौर पर कम्बल ,चादर ,रजाई सब थे… पर उस बच्चे के पास एक अधफटी चादर भर ही थी… फिर भी वो बच्चा उस अधफटी चादर को भी कुत्ते के साथ बाँट कर सो रहा था और मुझे घर में फ़ालतू पड़े कम्बल और चादर भी किसी को देना का मन ही नहीं होता था…
       
यही सोचते-सोचते ना जाने कब मेरी आँख लग गयी….अगले दिन सुबह उठा तो देखा घर के बहार भीड़ लगी हुई थी


     बाहर निकला तो किसी को बोलते सुना -
            "अरे वो चाय बेचने वाला मोनू  कल रात ठण्ड से मर गया.."

       

       मेरी पलकें कांपी और एक आंसू की बूंद मेरी आँख से छलक गयी..उस बच्चे की मौत से किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा…बस वो कुत्ता अपने नन्हे दोस्त के बगल में गुमसुम बैठा था….मानो उसे उठाने की कोशिश कर रहा हो!

      
         -
   दोस्तों*, ये कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है ये आज के इंसान की सच्चाई है। *मानव से अगर मानवता चली जाए तो वो मानव नहीं रहता…*
           *और हम,* हम अपने लिए ही पैदा होते हैं….अपने लिए जीते हैं और अपने लिए ही मर जाते हैं
          तो दोस्तों
     

     आइये एक बार फिर से मानव बनने का प्रयास करते हैं
     - आइये  अपने घरों में बेकार पड़े कपड़े ज़रूरतमंदों के देते हैं
     - आइये  कुछ गरीबों को खाना खिलाते हैं
     - आइये  किसी गरीब बच्चे को पढ़ाने का संकल्प लेते हैं
     - आइये  एक बार फिर से मानव बनते हैं!

          कर्तव्य समूह कोटा की एक छोटी सी पहल


विनीत - चन्द्रशेखर गुप्ता, रामचन्द्र गुप्ता, चंद्रकांत जायसवाल,
          चिंटू सोनी, नवीन गुप्ता,  सूरज गुप्ता,  अंकित सोनी,
              विवेक गुप्ता
 सम्पर्क सूत्र-8602160984,9752607954,7693877080


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शिरडी आने पर श्री साईं बाबा मस्जिद में निवास करने लगे बाबा के शिरडी में आने के पूर्व देवीदास नाम के एक सन्त अनेक वर्षों से वहाँ रहते थे। बाबा को वे बहुत प्रिय थे। वे उनके साथ कभी हनुमान मंदिर में और कभी चावड़ी में रहते थे। कुछ समय के पश्चात जानकीदास नाम के एक सन्त का भी शिरडी में आगमन हुआ।

अब बाबा जानकीदास से वार्तालाप करने में अपने बहुत-सा समय व्यतीत करने लगे। जानकीदास भी कभी बाबा के स्थान आया करते थे और पुणाताम्बे की श्री गंगागीर नामक एक पारिवारिक वैश्य संत भी बहुधा बाबा के पास आया - जाया करते थे। जब प्रथम उन्होंने श्री साईं बाबा को बगीचा सिंचन केलिए पानी धोते देखा तो उन्हें बड़ा अचम्भा हुआ। वे स्पष्ट शब्दों में कहने लगे कि - " शिरडी परम भाग्यशालीनी है , जहाँ एक अमूल्य हीरा है। जिन्हें तुम इस प्रकार परिश्रम करते हुए देख रहे हो, वे कोई सामान्य पुरुष नहीं है।

अपितु यह भूमि बहुत भाग्यशालीनी तथा महान पुण्य भूमि है , ईसिस कारण से यह रत्न प्राप्त हुआ है।" इसी प्रकार श्री अक्कलकोट महाराज के एक प्रसिद्द शिष्य संत आनन्द नाथ (येवलामठ) जो कोई शिरडी निवासियों के साथ शिरडी पधारे , उन्होंने भी स्पष्ट कहा है कि "यद्यपि बाह्रादृष्टि से ये साधारण व्यक्ति जैसे प्रतीत होते हैं , परन्तु ये सचमुच असाधारण व्यक्ति है। इसका तुम लोग को भविष्य में अनुभव होगा।" ऐसा कहकर ये येवला को लौट गए। यह उस समय की बात है , जब शिरडी बहुत ही साधारण-सा गाँव था और साईं बाबा बहुत छोटी उम्र के थे।



माँ झूठ बोलती है..

माँ झूठ बोलती है.....

सुबह जल्दी उठाने सात बजे को आठ कहती
नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है,
मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़ती
छोटी परेशानियों का बड़ा बवंडर करती है




 ...
.......माँ बड़ा झूठ बोलती है




थाल भर खिलाकर तेरी भूख मर गयी कहती है
जो मैं न रहू घर पे तो मेरे पसंद की
कोई चीज़ रसोई में उनसे नही पकती है,
मेरे मोटापे को भी कमजोरी की सूज़न बोलती है
..........माँ बड़ा झूठ बोलती है

माँ झूठ बोलती है.....

सुबह जल्दी उठाने सात बजे को आठ कहती
नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है,
मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़ती
छोटी परेशानियों का बड़ा बवंडर करती है

....माँ बड़ा झूठ बोलती है

थाल भर खिलाकर तेरी भूख मर गयी कहती है
जो मैं न रहू घर पे तो मेरे पसंद की
कोई चीज़ रसोई में उनसे नही पकती है,
मेरे मोटापे को भी कमजोरी की सूज़न बोलती है

..........माँ बड़ा झूठ बोलती है

दो ही रोटी रखी है रास्ते के लिए बोल कर
एक मेरे नाम दस लोगो का खाना भरती है,
कुछ नही-कुछ नही, बोल नजर बचा बैग में
छिपी शीशी अचार की बाद में निकलती है

.......माँ बड़ा झूठ बोलती है

टोका टाकी से जो मैं झुंझला जाऊ कभी तो,
समझदार हो अब न कुछ बोलूंगी मैं,
ऐसा अक्सर बोलकर वो रूठती है
अगले ही पल फिर चिंता में हिदायती होती है

........माँ बड़ा झूठ बोलती है

तीन घंटे मैं थियटर में ना बैठ पाउंगी,
सारी फिल्मे तो टी वी पे आ जाती है,
बाहर का तेल मसाला तबियत खराब करता है
बहानो से अपने पर होने वाले खर्च टालती है

 ........माँ बड़ा झूठ बोलती है

मेरी उपलब्द्धियो को बढ़ा चढ़ा कर बताती
सारी खामियों को सब से छिपा लेती है
उनके व्रत ,नारियल,धागे ,फेरे मेरे नाम
तारीफ़ ज़माने में कर बहुत शर्मिंदा करती है

........ माँ बड़ा झूठ बोलती है

भूल भी जाऊ दुनिया भर के कामो में उलझ
उनकी दुनिया मैं वो मुझे कब भूलती है, ?
मुझ सा सुंदर उन्हें दुनिया में ना कोई दिखे
मेरी चिंता में अपने सुख भी नही भोगती है

.........माँ बड़ा झूठ बोलती है

मन सागर मेरा हो जाए खाली ऐसी वो गागर
जब पूछो अपनी तबियत हरी बोलती है,
उनके ‘जाये” है, हम भी रग रग जानते है
दुनियादारी में नासमझ वो भला कहाँ समझती है

........माँ बड़ा झूठ बोलती है

उनकी फैलाए सामानों से जो एक उठा लू
खुश होती जैसे उन पे उपकार समझती है,
मेरी छोटी सी नाकामयाबी पे गहरी उदासी
सोच सोच अपनी तबियत का नुक्सान सहती है

........माँ बड़ा झूठ बोलती है ।।

दो ही रोटी रखी है रास्ते के लिए बोल कर
एक मेरे नाम दस लोगो का खाना भरती है,
कुछ नही-कुछ नही, बोल नजर बचा बैग में
छिपी शीशी अचार की बाद में निकलती है

.......माँ बड़ा झूठ बोलती है
टोका टाकी से जो मैं झुंझला जाऊ कभी तो,
समझदार हो अब न कुछ बोलूंगी मैं,
ऐसा अक्सर बोलकर वो रूठती है
अगले ही पल फिर चिंता में हिदायती होती है



........माँ बड़ा झूठ बोलती है 


तीन घंटे मैं थियटर में ना बैठ पाउंगी,
सारी फिल्मे तो टी वी पे आ जाती है,
बाहर का तेल मसाला तबियत खराब करता है
बहानो से अपने पर होने वाले खर्च टालती है

 ........माँ बड़ा झूठ बोलती है

मेरी उपलब्द्धियो को बढ़ा चढ़ा कर बताती
सारी खामियों को सब से छिपा लेती है
उनके व्रत ,नारियल,धागे ,फेरे मेरे नाम
तारीफ़ ज़माने में कर बहुत शर्मिंदा करती है

........ माँ बड़ा झूठ बोलती है

भूल भी जाऊ दुनिया भर के कामो में उलझ
उनकी दुनिया मैं वो मुझे कब भूलती है, ?
मुझ सा सुंदर उन्हें दुनिया में ना कोई दिखे
मेरी चिंता में अपने सुख भी नही भोगती है

.........माँ बड़ा झूठ बोलती है



मन सागर मेरा हो जाए खाली ऐसी वो गागर
जब पूछो अपनी तबियत हरी बोलती है,
उनके ‘जाये” है, हम भी रग रग जानते है
दुनियादारी में नासमझ वो भला कहाँ समझती है

........माँ बड़ा झूठ बोलती है

उनकी फैलाए सामानों से जो एक उठा लू
खुश होती जैसे उन पे उपकार समझती है,
मेरी छोटी सी नाकामयाबी पे गहरी उदासी
सोच सोच अपनी तबियत का नुक्सान सहती है

........माँ बड़ा झूठ बोलती है ।।

शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

फ़क़ीर को "साईं" नाम कैसे प्राप्त हुआ?







फ़क़ीर को "साईं" नाम कैसे प्राप्त हुआ?

जब बारात शिरडी में पहुँची तो खंडोबा के मंदिर के समीप म्हालसापति के खेत में, तब बारात को एक वृक्ष के नीचे ठहराई गई। खंडोबा जी के मंदिर के सामने ही सब बैलगाड़ियाँ खोल दीं गई और बरात के सभी बाराती गण एक-एक करके सब लोग एक-एक करके नीचे उतरने लगे। 
उस रूपवान  और सूर्य के प्रकाश के जैसे तेजस्वी  चेहरे वाले तरुण फ़क़ीर को उतरते देखकर , म्हालसापति ने "आओ साईं " आओ साईं आओ साईं(मराठी में " या साईं !') कहकर उनका अभिनन्दन किया तथा अन्य उपस्थित लोगों ने भी साईं नाम के जयकारे के साथ उस रूपवान तरुण फकीर को साईं नाम   ' शब्द से ही सम्बोधन कर उनका आदर किया। इसके पश्चात वे 'साईं ' नाम से ही प्रसिद्द हो गए।

तबसे
साईं बाबा का साईं नाम बहुत ही पतित और पावन है,  जो भी भक्त श्रद्धा से बाबा को पुकारता है  साईं दौड़े दौड़े चले आते हैं.  आप भी सुबह शाम हर पल साईं नाम का स्मरण जरूर करें,
बाबा आपकी हर मनोकामना पूर्ण करेंगे.  यह हमारा अटूट विश्वास है इन्हीं आशाओं के साथ आप सभी को ओम साईं राम बाबा की कृपा आप सभी पर बनी रहे.

        राम गुप्ता (लवलेश)
सह सचिव श्री साई बाबा सेवा आश्रम
करगी रोड कोटा जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़
 स्थापित 1972 रजि नं 11025
सम्पर्क सूत्र-8602160984
                 9893744778

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने बाबा की लीलाओं को पूरा पढा।
साई बाबा आप सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें


गाय का झूठा गुड़

       गाय का झूठा गुड़

एक शादी के निमंत्रण पर जाना था, पर मैं जाना नहीं चाहता था।

एक व्यस्त होने का बहाना और दूसरा गांव की शादी में शामिल
होने से बचना..
लेक‌िन घर परिवार का दबाव था सो जाना पड़ा।



उस दिन शादी की सुबह में काम से बचने के लिए सैर करने के बहाने दो- तीन किलोमीटर दूर जा कर मैं गांव को जाने बाली रोड़ पर बैठा हुआ था, हल्की हवा और सुबह का सुहाना मौसम बहुत ही अच्छा लग रहा था , पास के खेतों में कुछ गाय चारा खा रही थी कि तभी वहाँ एक लग्जरी गाड़ी  आकर रूकी,

और उसमें से एक वृद्ध उतरे,अमीरी उसके लिबास और व्यक्तित्व दोनों बयां कर रहे थे।



वे एक पॉलीथिन बैग ले कर मुझसे कुछ दूर पर ही एक सीमेंट के चबूतरे पर बैठ गये, पॉलीथिन चबूतरे पर उंडेल दी, उसमे गुड़ भरा हुआ था, अब उन्होने आओ आओ करके पास में ही खड़ी ओर बैठी गायो को बुलाया, सभी गाय पलक झपकते ही उन बुजुर्ग के इर्द गिर्द ठीक ऐसे ही आ गई जैसे कई महीनो बाद बच्चे अपने मां बाप को घेर लेते हैं, कुछ गाय को गुड़ उठाकर खिला रहे थे तो कुछ स्वयम् खा रही थी, वे बड़े प्रेम से उनके सिर पर गले पर हाथ फेर रहे थे।


कुछ ही देर में गाय अधिकांश गुड़ खाकर चली गई,इसके बाद जो हुआ वो वाक्या हैं जिसे मैं ज़िन्दगी भर नहीं भुला सकता,

हुआ यूँ कि गायो के गुड़ खाने के बाद जो गुड़ बच गया था
वो बुजुर्ग उन टुकड़ो को उठा उठा कर खाने लगे,मैं उनकी इस क्रिया से अचंभित हुआ पर उन्होंने बिना किसी परवाह के कई टुकड़े खाये और अपनी गाडी की और चल पड़े।



मैं दौड़कर उनके नज़दीक पहुँचा और बोला अंकल जी क्षमा चाहता हूँ पर अभी जो हुआ उससे मेरा दिमाग घूम गया, क्या आप मेरी इस जिज्ञासा को शांत करेंगे कि आप इतने अमीर होकर भी गाय का झूठा गुड क्यों खाया ??

उनके चेहरे पर अब हल्की सी मुस्कान उभरी उन्होंने कार का गेट वापस बंद करा और मेरे कंधे पर हाथ रख वापस सीमेंट के चबूतरे पर आ बैठे, और बोले ये जो तुम गुड़ के झूठे टुकड़े देख रहे हो ना बेटे मुझे इनसे स्वादिष्ट आज तक कुछ नहीं लगता।

जब भी मुझे वक़्त मिलता हैं मैं अक्सर इसी जगह आकर अपनी आत्मा में इस गुड की मिठास घोलता हूँ।

मैं अब भी नहीं समझा अंकल जी आखिर ऐसा क्या हैं इस गुड में ???

   वे बोले ये बात आज से कोई 40 साल पहले की हैं उस वक़्त मैं 22 साल का था घर में जबरदस्त आंतरिक कलह के कारण मैं घर से भाग आया था, परन्तू दुर्भाग्य वश ट्रेन में कोई मेरा सारा सामान और पैसे चुरा ले गया। इस अजनबी से छोटे शहर में मेरा कोई नहीं था, भीषण गर्मी में खाली जेब के दो दिन भूखे रहकर इधर से उधर भटकता रहा, और शाम को भूख मुझे निगलने को आतुर थी।

तब इसी जगह ऐसी ही एक गाय को एक महानुभाव गुड़ डालकर चले गए ,यहाँ एक पीपल का पेड़ हुआ करता था तब चबूतरा नहीं था,मैं उसी पेड़ की जड़ो पर बैठा भूख से बेहाल हो रहा था, मैंने देखा कि गाय ने गुड़ छुआ तक नहीं और उठ कर वहां से चली गई, मैं कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़ सोचता रहा और फिर मैंने वो सारा गुड़ उठा लिया और खा लिया। मेरी मृतप्रायः आत्मा में प्राण से आ गये।

 मैं उसी पेड़ की जड़ो में रात भर पड़ा रहा, सुबह जब मेरी आँख खुली तो काफ़ी रौशनी हो चुकी थी, मैं नित्यकर्मो से फारिक हो किसी काम की तलाश  में फिर सारा दिन भटकता रहा पर दुर्भाग्य मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था, एक और थकान भरे दिन ने मुझे वापस उसी जगह निराश भूखा खाली हाथ लौटा दिया।

शाम ढल रही थी, कल और आज में कुछ भी तो नहीं बदला था, वही पीपल, वही भूखा मैं और वही गाय।

कुछ ही देर में वहाँ वही कल वाले सज्जन आये और कुछ गुड़ की डलिया गाय को डालकर चलते बने, गाय उठी और बिना गुड़ खाये चली गई, मुझे अज़ीब लगा परन्तू मैं बेबस था सो आज फिर गुड खा लिया।

           और वही सो गया, सुबह काम तलासने निकल गया, आज शायद दुर्भाग्य की चादर मेरे सर पे नहीं थी सो एक ढ़ाबे पर मुझे काम मिल गया। कुछ दिन बाद जब मालिक ने मुझे पहली पगार दी तो मैंने 1 किलो गुड़ ख़रीदा और किसी दिव्य शक्ति के वशीभूत 7 km पैदल पैदल चलकर उसी पीपल के पेड़ के नीचे आया।

इधर उधर नज़र दौड़ाई तो गाय भी दिख गई,मैंने सारा गुड़ उस गाय को डाल दिया, इस बार मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा चौंका क्योकि गाय सारा गुड़ खा गई, जिसका मतलब साफ़ था की गाय ने 2 दिन जानबूझ कर मेरे लिये गुड़ छोड़ा था,

मेरा हृदय भर उठा उस ममतामई स्वरुप की ममता देखकर, मैं रोता हुआ बापस ढ़ाबे पे पहुँचा,और बहुत सोचता रहा, फिर एक दिन मुझे एक फर्म में नौकरी भी मिल गई, दिन पर दिन मैं उन्नति और तरक्की के शिखर चढ़ता गया,

शादी हुई बच्चे हुये आज मैं खुद की पाँच फर्म का मालिक हूँ, जीवन की इस लंबी यात्रा में मैंने कभी भी उस गाय माता को नहीं भुलाया , मैं अक्सर यहाँ आता हूँ और इन गायो को गुड़ डालकर इनका झूँठा गुड़ खाता हूँ,

मैं लाखो रूपए गौ शालाओं में चंदा भी देता हूँ , परन्तू मेरी मृग तृष्णा मन की शांति यही आकर मिटती हैं बेटे।

मैं देख रहा था वे बहुत भावुक हो चले थे, समझ गये अब तो तुम,

मैंने सिर हाँ में हिलाया, वे चल पड़े,गाडी स्टार्ट हुई और निकल गई , मैं उठा उन्ही टुकड़ो में से एक टुकड़ा उठाया मुँह में डाला
बापस शादी में शिरकत करने सच्चे मन से शामिल हुआ।

सचमुच वो कोई साधारण गुड़ नहीं था।

 उसमे कोई दिव्य मिठास थी जो जीभ के साथ आत्मा को भी मीठा कर गई थी।

घर आकर गाय के बारे जानने के लिए कुछ किताबें पढ़ने के बाद जाना कि.....,

गाय गोलोक की एक अमूल्य निधि है,
जिसकी रचना भगवान ने मनुष्यों के कल्याणार्थ आशीर्वाद रूप से की है। अत: इस पृथ्वी पर गोमाता मनुष्यों के लिए भगवान का प्रसाद है। भगवान के प्रसादस्वरूप अमृतरूपी गोदुग्ध का पान कर मानव ही नहीं अपितु देवगण भी तृप्त होते हैं।

 इसीलिए गोदुग्ध को ‘अमृत’ कहा जाता है। गौएं विकाररहित दिव्य अमृत धारण करती हैं और दुहने पर अमृत ही देती हैं। वे अमृत का खजाना हैं। सभी देवता गोमाता के अमृतरूपी गोदुग्ध का पान करने के लिए गोमाता के शरीर में सदैव निवास करते हैं।

ऋग्वेद में गौ को‘अदिति’ कहा गया है। ‘दिति’ नाम नाश का प्रतीक है और ‘अदिति’ अविनाशी अमृतत्व का नाम है। अत: गौ को ‘अदिति’ कहकर वेद ने अमृतत्व का प्रतीक बतलाया है।

*।। जय गौ माता।।*

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

(((((((((( सच्चा सन्यास ))))))))))

(((((((((( सच्चा सन्यास ))))))))))
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एक व्यक्ति प्यास से बेचैन भटक रहा था. उसे गंगाजी दिखाई पड़ी. पानी पीने के लिए नदी की ओर तेजी से भागा लेकिन नदी तट पर पहुंचने से पहले ही बेहोश होकर गिर गया।

थोड़ी देर बाद वहां एक संन्यासी पहुंचे. उन्होंने उसके मुंह पर पानी का छींटा मारा तो वह होश में आया. व्यक्ति ने उनके चरण छू लिए और अपने प्राण बचाने के लिए धन्यवाद करने लगा।



संन्यासी ने कहा- बचाने वाला तो भगवान है. मुझमें इतना सामर्थ्य कहां है ? शक्ति होती तो मेरे सामने बहुत से लोग मरे मैं उन्हें बचा न लेता. मैं तो सिर्फ बचाने का माध्यम बन गया।

इसके बाद संन्यासी चलने को हुए तो व्यक्ति ने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूंगा. संन्यासी ने पूछा- तुम कहां तक चलोगे. व्यक्ति बोला- जहां तक आप जाएंगे।

संन्यासी ने कहा मुझे तो खुद पता ही नहीं कि कहां जा रहा हूं और अगला ठिकाना कहां होगा. संन्यासी ने समझाया कि उसकी कोई मंजिल नहीं है लेकिन वह अड़ा रहा. दोनों चल पड़े।

कुछ समय बाद व्यक्ति ने कहा- मन तो कहता है कि आपके साथ ही चलता रहूं लेकिन कुछ टंटा गले में अटका है. वह जान नहीं छोड़ता. आपकी ही तरह भक्तिभाव और तप की इच्छा है पर विवश हूं।

संन्यासी के पूछने पर उसने अपने गले का टंटा बताना शुरू किया. घर में कोई स्त्री और बच्चा नहीं है. एक पैतृक मकान है उसमें पानी का कूप लगा है।

छोटा बागीचा भी है. घर से जाता हूं तो वह सूखने लगता है. पौधों का जीवन कैसे नष्ट करूं. नहीं रहने पर लोग कूप को गंदा करते हैं. नौकर रखवाली नहीं करते, बैल भूखे रहते हैं. बेजुबान जानवर है उसे कष्ट दूं।

बहुत से संगी-साथी हैं जो मेरे नहीं होने से उदास होते हैं, उनके चेहरे की उदासी देखकर उनका मोह भी नहीं छोड़ पाता।

दादा-परदादा ने कुछ लेन-देन कर रखा था. उसकी वसूली भी देखनी है. नहीं तो लोग गबन कर जाएंगे. अपने नगर से भी प्रेम है।

बाहर जाता हूं तो मन उधर खिंचा रहता है. अपने नगर में समय आनंदमय बीत जाता है. लेकिन मैं आपकी तरह संन्यासी बनना चाहता हूं. राह दिखाएं।

संन्यासी ने उसकी बात सुनी फिर मुस्कराने. लगे. उन्होंने कहा- जो तुम कर रहे हो वह जरूरी है. तुम संन्यास की बात मत सोचो. अपना काम करते रहो।

व्यक्ति उनकी बात समझ तो रहा था लेकिन उस पर संन्यासी बनने की धुन भी सवार थी।

चलते-चलते उसका नगर आ गया. उसे घर को देखने की इच्छा हुई. उसने संन्यासी से बड़ी विनती की- महाराज मेरे घर चलें. कम से कम 15 दिन हम घर पर रूकते हैं. सब निपटाकर फिर मैं आपके साथ निकल जाउंगा।

संन्यासी मुस्कुराने लगे और खुशी-खुशी तैयार हो गए. उसकी जिद पर संन्यासी रूक गए और उसे बारीकी से देखने लगे।

सोलहवें दिन अपना सामान समेटा और निकलने के लिए तैयार हो गए. व्यक्ति ने कहा-महाराज अभी थोड़ा काम रहता है. पेड़-पौधों का इंतजाम कर दूं. बस कुछ दिन और रूक जाएं निपटाकर चलता हूं।

संन्यासी ने कहा- तुम हृदय से अच्छे हो लेकिन किसी भी वस्तु से मोह त्यागने को तैयार ही न हो. मेरे साथ चलने से तुम्हारा कल्याण नहीं हो सकता. किसी भी संन्यासी के साथ तुम्हारा भला नहीं हो सकता।

उसने कहा- कोई है ही नहीं तो फिर किसके लिए लोभ-मोह करूं।

संन्यासी बोले- यही तो और चिंता की बात है. समाज को परिवार समझ लो, उसकी सेवा को भक्ति. ईश्वर को प्रतिदिन सब कुछ अर्पित कर देना. तुम्हारा कल्याण हो इसी में हो जाएगा. कुछ और करने की जरूरत नहीं।
वह व्यक्ति उनको कुछ दूर तक छोड़ने आया. विदा होते-होते उसने कहा कि कोई एक उपदेश तो दे दीजिए जो मेरा जीवन बदल दे।

संन्यासी हंसे और बोले- सत्य का साथ देना, धन का मोह न करना. उन्होंने विदा ली।

कुछ साल बाद वह संन्यासी फिर वहां आए. उस व्यक्ति की काफी प्रसिद्धि हो चुकी थी. सभी उसे पक्का और सच्चा मानते थे. लोग उससे परामर्श लेते. छोटे-मोटे विवाद में वह फैसला देता तो सब मानते.उसका चेहरा बताता था कि संतुष्ट और प्रसन्न है।

संन्यासी कई दिन तक वहां ठहरे. फिर एक दिन अचानक तैयार हो गए चलने को।

उस व्यक्ति ने कहा- आप इतनी जल्दी क्यों जाने लगे. आपने तो पूछा भी नहीं कि मैं आपके उपदेश के अनुसार आचरण कर रहा हूं कि नहीं।




संन्यासी ने कहा- मैंने तुम्हें कोई उपदेश दिया ही कहां था ? पिछली बार मैंने देखा कि तुम्हारे अंदर निर्जीवों तक के लिए दया है लेकिन धन का मोह बाधा कर रहा था. वह मोह तुम्हें असत्य की ओर ले जाता था हालांकि तुम्हें ग्लानि भी होती थी।

तुम्हारा हृदय तो सन्यास के लिए ऊर्वर था. बीज पहले से ही पड़े थे, मैंने तो बस बीजों में लग रही घुन के बारे में बता दिया. तुमने घुन हटा दी और फिर चमत्कार हो गया. संन्यास संसार को छोड़कर ही नहीं प्राप्त होता. अवगुणों का त्याग भी संन्यास है।

हम सब में उस व्यक्ति की तरह सदगुण हैं. जरूरत है उन्हें निखारने की. निखारने वाले की. अपने काम करने के तरीके में थोड़ा बदलाव करके आप चमत्कार कर सकते हैं।

एक बदलाव आजमाइए- हर किसी से प्रेम से बोलें. उनसे ज्यादा मीठा बोलेंगे जिन पर आपका शासन है. आपमें जो मधुरता आ जाएगी वह जीवन बदल देगी कम से कम इसे आजमाकर देखिए।
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राम गुप्ता [लवलेश ]



बुधवार, 3 जनवरी 2018

संन्सकार का सही अर्थ क्या है

संन्सकार का सही अर्थ क्या है आइए एक कथानक के द्वारा समझनें का प्रयास करते है !
                    


 एक राजा के पास सुन्दर घोडीथी । कई बार युद्व में इस घोडी ने राजा के प्राण बचाये और घोडी राजा के लिए पूरी वफादार थी कुछ दिनों के बाद इस घोडी ने एक बच्चे को जन्म दिया, बच्चा काना पैदा हुआ पर शरीर हष्ट पुष्ट व सुडौल था ।

बच्चा बडा हुआ बच्चे ने मां से पूछा मां मैं बहुत बलवान हूँ पर काना हूँ यह कैसे हो गया इस पर घोडी बोली बेटा जब में गर्भवती थी तू पेट में था तब राजा ने मेरे उपर सवारी करते समय मुझे एक कोडा मार दिया जिसके कारण तू काना हो गया ।

 यह बात सुनकर बच्चे को राजा पर गुस्सा आया और मां से बोला मां मैं इसका बदला लूंगा ।

मां ने कहा राजा ने हमारा पालन - पोषण किया है तू जो स्वस्थ है सुन्दर है उसी के पोषण से तो है , यदि राजा को एक बार गुस्सा आ गया तो इसका अर्थ यह नहीं है की हम उसे क्षति पहुचाये पर उस बच्चे के समझ में कुछ नहीं आया उसने मन ही मन राजा से बदला लेने की सोच ली ।



एक दिन यह मौका घोडे को मिल गया राजा उसे युद्व पर ले गया । युद्व लडते - लडते राजा एक जगह घायल हो गया घोडा उसे तुरन्त उठाकर वापिस महल ले आया ।

 इस पर घोडे को ताज्जूब हुआ और मां से पूछा मां आज राजा से बदला लेने का अच्छा मौका था पर युद्व के मैदान में बदला लेने का ख्याल ही नहीं आया और न ही ले पाया , मन ने गवाही नहीं दी इस पर घोडी हंस कर बोली बेटा तेरे खून में, तेरे संस्कार में धोखा है ही नहीं, तू जानकर धोखा दे ही नहीं सकता है ।

तुझसे नमक हरामी हो नहीं सकती क्योकि तेरी नस्ल में तेरी मां का ही तो अंश है ।
बाकई यह सत्य है जैसे हमारे संस्कार होते है बैसा ही हमारे मन का व्यवहार होता है हमारे पारिवारिक संस्कार अवचेतन मस्तिष्क में गहरे वैठ जाते है माता पिता जिस संस्कार के होते है उनके बच्चे भी उसी संस्कारों को लेकर पैदा होते है ।हमारे कर्म ही संस्‍कार बनते है और संस्कार ही प्रारब्धो का रूप लेते है ! यदि हम कर्मो को सही व वेहतर दिशा दे दे तो संस्कार अच्छे बनेगें और संस्कार अच्छे बनेंगे तो जो प्रारब्ध का फल बनेगा वह मीठा व स्वादिष्ट होगा ।

हमें प्रतिदिन कोशिश करनी होगी की हमसे जानकर कोई धोखा न हो, गलत काम न हो, चिटिंग न हो । बस स्थिति अपने आप ठीक होती जायेगी ।

सोमवार, 1 जनवरी 2018

Rhapsody Of Realities

*Rhapsody Of Realities*
_Look Ahead_

Pastor Chris

```…but this one thing I do, forgetting those things which are behind, and reaching forth unto those things which are before (Philippians 3:13).```

There’s so much the Lord has in store for you to enjoy in the coming year. Look forward to the New Year with faith and joy, for greater glory lies ahead, and it completely outshines the victories and triumphs of yesterday. Refuse to allow the seeming failures, weaknesses, and disappointments you may have experienced dissipate your enthusiasm and faith to win.


Set your goals and focus on the Spirit and His Word. Don’t focus on the past. Look ahead. Raise your vision. The regrets of yesterday and the fear of tomorrow are enemies of today’s happiness. Position yourself aright for a triumphant life by keeping your gaze on, and living in the Word. Refuse to give up on your dreams.

Proverbs 4:18 says, “…the path of the just is as the shining light, that shineth more and more unto the perfect day.” Believe and affirm this as the reality of your life. You can only make progress as a child of God. Your journey in life is upward and forward only; no disappointments, because “…we know that all things work together for good to them that love God, to them who are the called according to his purpose” (Romans 8:28).


Cheer up! The future is bright. You have nothing to fear. The Lord has already made the crooked paths straight; therefore, you’ll triumph in the coming year. He said in John 16:33, “These things I have spoken unto you, that in me ye might have peace. In the world ye shall have tribulation: but be of good cheer; I have overcome the world.”

See yourself making greater impact with the Gospel in the coming year. See yourself in health, joy, and prosperity. See yourself walking in righteousness and producing works and fruits of righteousness. See yourself fulfilling the will of the Father, pleasing Him in all things as you receive and run with the Word for the year.

Make certain to participate live in our December 31 st New Year’s Eve Service in your Church, online at http://pastorchrisonline.org or via major satellite and terrestrial TV stations, and designated viewing centres around the world.

             
*CONFESSION*
_I’m strong and very courageous, standing firm in faith, reaching out and apprehending the glories that lie ahead. My path is like the first gleam of dawn, which shines ever brighter until the full light of day. I’m walking in righteousness and producing works and fruits of righteousness. Blessed be God!_

*FURTHER STUDY:*

*|| Isaiah 43:18-20 MSG "Forget about what's happened; don't keep going over old history. 19 Be alert, be present. I'm about to do something brand-new. It's bursting out! Don't you see it? There it is! I'm making a road through the desert, rivers in the badlands. 20 Wild animals will say 'Thank you!'--the coyotes and the buzzards--Because I provided water in the desert, rivers through the sun-baked earth, Drinking water for the people I chose, ||*


*DAILY SCRIPTURE READING*

1-Year Bible Reading Plan: Revelation 22,
Malachi 3-4

2-Year Bible Reading Plan: Acts 5:24-32,
Nehemiah 1-2

पूजा करते समय यह चीज गिर जाए तो समझो साक्षात साईं भगवान खड़े हैं पास विशेष संकेत

 जय साईं राम स्वागत है आप सभी का आपके अपने चैनल पर तो जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हम सभी बाबा को प्रतिमा पर मूर्ति पर माला चढ़ाते हैं घर की ...