शनिवार, 6 जनवरी 2018

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शिरडी आने पर श्री साईं बाबा मस्जिद में निवास करने लगे बाबा के शिरडी में आने के पूर्व देवीदास नाम के एक सन्त अनेक वर्षों से वहाँ रहते थे। बाबा को वे बहुत प्रिय थे। वे उनके साथ कभी हनुमान मंदिर में और कभी चावड़ी में रहते थे। कुछ समय के पश्चात जानकीदास नाम के एक सन्त का भी शिरडी में आगमन हुआ।

अब बाबा जानकीदास से वार्तालाप करने में अपने बहुत-सा समय व्यतीत करने लगे। जानकीदास भी कभी बाबा के स्थान आया करते थे और पुणाताम्बे की श्री गंगागीर नामक एक पारिवारिक वैश्य संत भी बहुधा बाबा के पास आया - जाया करते थे। जब प्रथम उन्होंने श्री साईं बाबा को बगीचा सिंचन केलिए पानी धोते देखा तो उन्हें बड़ा अचम्भा हुआ। वे स्पष्ट शब्दों में कहने लगे कि - " शिरडी परम भाग्यशालीनी है , जहाँ एक अमूल्य हीरा है। जिन्हें तुम इस प्रकार परिश्रम करते हुए देख रहे हो, वे कोई सामान्य पुरुष नहीं है।

अपितु यह भूमि बहुत भाग्यशालीनी तथा महान पुण्य भूमि है , ईसिस कारण से यह रत्न प्राप्त हुआ है।" इसी प्रकार श्री अक्कलकोट महाराज के एक प्रसिद्द शिष्य संत आनन्द नाथ (येवलामठ) जो कोई शिरडी निवासियों के साथ शिरडी पधारे , उन्होंने भी स्पष्ट कहा है कि "यद्यपि बाह्रादृष्टि से ये साधारण व्यक्ति जैसे प्रतीत होते हैं , परन्तु ये सचमुच असाधारण व्यक्ति है। इसका तुम लोग को भविष्य में अनुभव होगा।" ऐसा कहकर ये येवला को लौट गए। यह उस समय की बात है , जब शिरडी बहुत ही साधारण-सा गाँव था और साईं बाबा बहुत छोटी उम्र के थे।



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