शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

एक माँ का दर्द एक माँ ही समझ सकती है

एक माँ का दर्द एक माँ ही समझ सकती है !माता सदा गौ माता का रूप है


 ,जो सदा  पूज्यनीय है
,"माँ "शब्द की महानता से सार  हे! 

  

 माता सदा सर्वोपरि है ,उसकी ऊंचाई सागर के सामान है. माता ही जननी है ,उसके बिना सृष्टी  नहीं रची जा सकती ,माता से ही परिवार बनता हे। संसार में आकर वह कभी माँ के रूप में, कभी बहन, कभी पत्नी, के रूप में आकर एक इंसान का वजूद बनाती है ,उसके परिवार कुल देश को मजबूत बनती है ,


                                             
         
अगर माँ हमारी मजबूत हे, तो वह अपने परिवार ,समाज,देश ,का वातावरण अच्छा बनाकर आस- पास रौशनी फैलाकर एक नवजीवन का निर्माण कर ,प्रगति के पथ पर सदा अग्रसर रहकर एक देश की नई सेना तैयार करती है ,जो भविष्य में उसके बच्चो को उज्जव्वल प्रकाशित कर  ,

                                  

'गर्व" से सम्मान प्राप्त कर,  हमारे "छोटे भाई ,बहनो "छोटे बड़ो  को  आस पास के पड़ोसियो, को व्यव्हार ,

 रिस्तों की मर्यादा समझाकर, एक नव समाज का निर्माण कर  ,गौरव पथ पर चलकर अपने मायके ,

 ससुराल दोनों पछो को सवार कर.  माता पिता ,सास ससुर ,का नाम सम्मान के साथ गर्व से लेकर सर उठाकर हर मुश्किलों का सामना करते हुए "लक्ष्य  प्रप्ति के मार्ग पर अग्रसर रहकर अपनी राह पर अडीग रहकर       

                                                                            
आगे बढ़ती रहती हे ,
एक बच्चे को माँ के दर्द का अहसास हमेशा दिलाते रहें। ताकि वह अपने माता पिता की सदैव सेवा करते रहै ,उनका आदर ,सम्मान करते रहे। और मन में यह विश्वास करे की माता पिता में ही उसे  दुनिया में लाकर मनुष्य जन्म दिया है ,उन्ही के कारन उसका इस संसार में वजूद है।

                                                              
 माता पिता के नाम से ही उसका नाम चलता है ,उनके बिना हमारी कोई पहचान नहीं होती है,
 वे सदा अपने बच्चो के लिए अच्छा ही सोचते है। हमे उन पर सदैव विशवास कर ,
   उनके दिए गए मार्ग दर्शन पर चलना होगा। 
जरूरी नहीं की हम इसके पहले ,उनसे कुछ एहसान मांगे बल्कि हम उन से आशीर्वाद रूपी धन लेकर अपना जीवन सफल बन लेवे ,जब हमारे माता पिता हमे छोड़कर इस दुनिय से चले जाते है ,तो हम उनक यादो के सहारे उनके दिए गए संस्कारो को याद कर अपना जीवन आगे बढ़ाते है ,
हमे  उनकी कमी महसूस होती है.'

                                                             

वे हमारे आदर्श है फिर भी हम उनकी याद में आंशु बहाकर दो पल याद  कर उन्हें श्र्द्धांजलि अर्पित कर
अपनी जिंदगी की राह में आगे बह जाते है ,
उनकी कृपा से ही हमारा संसार है
                               उनकी बगिया ही बागवान है ,
जिसे सींच कर हमे सदा अपनी मेहनत से हरा भरा रखना है

                                                       

बस  वही  कामयाब माँ   कहलाती हे।

घर में माता ही बच्चो की गुरु है, शाला में शिक्षक बच्चो के गुरु होते है ,जिस तरह गाय अपने बछड़े को प्यार से सहला कर ,चाट कर। बड़ा करती है,दूध पिला  कर पालती है.
उसी तरह एक माँ भी अपने बच्चे को अपने स्नैह से सहला क,र  पाल पोश कर  बड़ा करती है ,ताकि एक दिन उसका बच्चा बड़ा हो कर उसके  बुढ़ापे  का सहारा बने।






माता से ही परिवार बनता है ,माता पिता अपने बच्चे को इस दुनिया में ला कर ,एक काबिल इंसान बनाते है। बच्चे देश  के सूंदर भविष्य हे जो बड़े होकर माता  के कुल को आगे बढ़ाते 'जिस तरह एक किसान अपने लहलहाते हुए खेत देख कर  खुश  होता हे ,उसी तरह माता पिता अपने बच्चो को  खुश  देख कर ख़ुश रहतै  है,                             


माता पिता अपने स्नेह  से अपना परिवार समाज  देश का वातावरण अच्छा बनाकर अपने बच्चो का भविष्य,सुरछित कर नव जीवन का निर्माण कर प्रगति के पथ पर सदा ,अपने बच्चो को प्रोत्शाहित करती  है ,

                             

वही होती हे सच्ची माँ जय माता दी +




लेखक_ स्व  सुँदर बाई गुप्ता की याद में 
एक छोटी सी श्र्द्धांजलि  ,
       मीना गुप्ता ,और सौरभ गुप्ता की कलम से

श्री साई बाबा सेवा आश्रम करगी रोड कोटा बिलासपुर छत्तीशगड़
सम्पर्क -सूत्र -8871301506 ,8602160984 

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