शनिवार, 11 जनवरी 2020

क्या आप संतान सुख से  है वंचित या किसी ने कर दिया है कुछ क्रियाकलाप या फिर  बहुत बड़ी  है धन की परेशानी  इस कथा को सुनने मात्र से आपके जीवन में आ रही सारी परेशानी को साईनाथ महाराज दूर कर देंगे ,साई के इस कथा को सुनने से पहले जयकारा लगाएं ॐ साई  राम,, ओम साईं राम ओम साईं राम उसके बाद इस विडिओ को देखे ,स्वागत है आप सभी का १९७२ से साईं बाबा के आदर्शों का पालन करते हुए
  साई बाबा  की सेवा गरीब बच्चों के भोजन स्थापित साईं बाबा के आदर्शों का पालन करते हुए गरीब बच्चों की सेवा गरीब बच्चों को वस्त्रों का दान और समय-समय पर साईं भोज का आयोजन के लिए बनाए गए इस साईं जीवन माला यूट्यूब चैनल पर  सबका मालिक एक
 आज का चरित यही चरित है  कि आप शिर्डी जाते हैं ,तो बाबा की कृपा होगी ,आपके आंगन में एक संतान कृष्ण के रूप के समान खेलता  नजर आएगा, यह साईं बाबा का महान आशीर्वाद है  ,क्योंकि साईं बाबा त्रिकालदर्शी थे ,अवतारी पुरुष थे साईं सच्चरित्र पर एक शकुंतला बहन थी जिसके पति थे तो लड़का था एक लड़की थी एक लड़का था शकुंतला जीवन काल में हमेशा शिर्डी में जाती थी, और साईं बाबा की द्वारकामाई में जाकर साईं बाबा के चरणों में, सेंट अगरबत्ती श्रीफल और मिश्री का भोग लगाया करती थी ,और करते-करते एक समय ऐसा आया कि सामा की सैलरी हालत बहुत खराब हो गई,उसका पति कोई काम नहीं कर रहा था नौजवान लड़के को कोई नौकरी  नहीं मिल रहा थी  ,ना लड़कियों की शादी के लिए धन और लड़के नहीं मिल रहे थे ,जो शकुंतला शिर्डी जाती थी साईं बाबा के द्वारका में बैठकर बौद्धिक शिक्षा लिया करती थी ,वही शकुंतला आज अपने घर पर कमर और पैर के दर्द के कारण चारपाई पर लेटकर साईं का ध्यान करती है ,
और कहती है साईं अब तो मेरा शरीर नहीं चल रहा है जब मेरा शरीर चलता था तो साई मैं हर रोज आपकी द्वारकामाई में आपके पास आया करती थी आज मेरे घर की वह स्थिति है साईं की मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है आज मेरे घर में खाने को अन्य तक नहीं है साईं साईं साईं अब आपको क्या बताऊं साईं पति का भी कोई व्यापार ठीक से नहीं चल रहा है साईं मेरी दो दो जवान लड़की है साईं मैं कैसे शादी करूंगी साईं मैं तो चारपाई में पड़ी हूं साईं मेरा एक लड़का है साई जो पढ़ लिख कर तैयार हो गया है साईं उसको भी नौकरी नहीं मिल रही है साईं अगर कुछ गुजारा हो जाता है साईं कुछ लड़के को नौकरी मिल जाता है साईं पति को कुछ व्यापार मिल जाता है साईं तो मेरे दिन कुछ अच्छे आ जाते हैं और मैं अपनी कन्याओं का अच्छे ढंग से आपकी कृपा से शादी कर देता

मैं तो शादी कैसे करूंगी भाई मेरा तो एक लड़का है साईं मैं तो चारपाई में पड़ी हूं साईं जो पढ़ लिख कर तैयार हो गया है उसको भी नौकरी नहीं मिल रही है साईं अगर कुछ गुजारा हो जाता है साईं उन लड़कों को नौकरी मिल जाती है साईं पति को कुछ व्यापार मिल जाता है साईं तो मेरे दिन कुछ अच्छे आ जाते की कृपा से शादी कर देती मगर साईं बाबा ने कहा है कौन सोएगा उसकी परछाई जिस को बचाने वाला साईं यह सारे भाव उन शांताबाई के करुणा की पुकार शिरडी की द्वारकामाई में उस मस्जिद में गूंजी जहां योगीराज साईनाथ महाराज धोनी के सम्मुख बैठे हुए थे उस शांताबाई के नगर में पहुंचे एक फकीर के भेष में और उसके दरवाजे में पहुंचे ओ माई ओ माई मुझे एक गिलास जल दे दो भाई मैं बहुत प्यासा हूं भाई लड़की निकली और बोली बाबा मेरी मां है जो वह चारपाई में पड़ी हुई है मेरी मां तो उठ नहीं पाती बाबा
कि बाबा ने कहा मुझे एक गिलास जल दे दो माई लड़की बाहर आई और बोली बाबा मैं कैसे दूं मेरी मां तो चारपाई पर पड़ी हुई है वह बाहर नहीं आ सकती बाबा ने फिर कहा माई एक गिलास जल दे दो भाई मैं बहुत प्यासा हूं
फिर शांताबाई ने किसी तरह हिम्मत करके पता नहीं क्या सकती उसके में आई धीरे से वह खड़ी हुई और गई बाबा के पास और बोली कि मैं तुम्हें पानी पिलाऊंगी लेकिन मेरा शरीर नहीं चल रहा मैं उठ नहीं पा रही हूं चल नहीं पा रही हूं उस बाबा ने कहा शांताबाई तुमको मैं गिरने नहीं दूंगा और हमेशा तुम्हारी सहायता करूंगा
 फिर शांताबाई ने एक गिलास पानी ला कर उस बाबा को दिया बाबा ने पानी पिया फिर शांताबाई ने कहा बाबा आप साईं बाबा तो नहीं हो बाबा ने कहा ना मैं साईं बाबा हूं और ना मैं साईं बाबा को जानता हूं हां मैं एक बंदा फकीर हूं माजी जो तेरे दर पर पानी पीने को आया हूं शांताबाई की आत्मा के करुणा की पुकार में यह आवाज हो गया
शांताबाई यह मान चुकी थी कि हमें रास आई है जो अलग भेष बनाकर आया है वह जानती थी कि जब मैं जब भी द्वारकामाई में जाती थी शिर्डी में तो साईं बाबा की सेवा किया करती थी और पूजा करने के बाद बाबा से आशीर्वाद लेकर जाती थी और विगत वर्षों से शरीर की तकलीफ के कारण मैंने शिरडी जाना स्थगित कर दिया क्योंकि मेरे शरीर में इतने कष्ट होने लगे और मेरे घर की इतनी आर्थिक स्थिति खराब हो गई और मेरे पास पैसा भी नहीं है कि मैं टिकट करके शिर्डी जा सकूं यह सोच विचार करने के बाद शांताबाई ने उस फकीर को अपने घर के आसन में विराजमान कर आई और बोली बाबा आज मेरे घर से आप भोजन करके जाना भोजन करके ही जाना और उसने उस फकीर को आसन पर बैठा दी

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